धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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हमनें ऋषि दयानन्द के उपकारों को न तो जाना है और न उनसे उऋण होने का प्रयत्न किया है

ओ३म् महाभारत युद्ध के बाद देश का सर्वविध पतन व पराभव हुआ। इसका मूल कारण अविद्या था। महाभारत के बाद

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ऋषि दयानन्द की संसार को देन वेदों में वर्णित ईश्वर का प्रामाणिक सत्य स्वरूप

ओ३म् यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ही

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परमात्मा और हम चेतन होने के कारण सजातीय हैं:  स्वामी चित्तेश्वरानन्द

आर्यसमाज प्रेमनगर, देहरादून का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव आज दिनांक 22-12-2019 को सोल्लास आरम्भ हुआ। प्रातः पं0 वेदवसु  शास्त्री जी ने

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#भूमिका_रामावतार_की #भाग-1…..#मानस

#भूमिका_रामावतार_की #भाग-1…..#मानस भूमिका अर्थात आने वाली घटनाओं के लिए पृष्ठभूमि पूर्व से स्वतः ही बनने लगती है। गीता में भगवान

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बलवान मनुष्य एवं संगठित समुदाय ही सुरक्षित रह सकते हैं

ओ३म् परमात्मा ने जीवात्माओं को स्त्री या पुरुष में से एक प्राणी बनाया है। हम सामाजिक प्राणी हैं। हम समाज

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सभी विद्वानों का कर्तव्य लोगों को श्रेष्ठ गुण सम्पन्न मनुष्य बनाना है

ओ३म् मनुष्यों की सन्तानें जन्म के समय व उसके बाद ज्ञान की दृष्टि से ज्ञानहीन होती हैं। उन बच्चों को

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मनुष्य के भक्ष्य व अभक्ष्य भोजन विषयक वैदिक नियम व व्यवहार

ओ३म् दूसरे मनुष्य के हाथ से बना व पका तथा छुआ हुआ भोजन करने के विषय में हमारे देश के

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हम ईश्वर की आज्ञा के पालन, सुख एवं वायु शुद्धि हेतु यज्ञ करते हैं

ओ३म् वेदों के मर्मज्ञ व विख्यात विद्वानों में अपूर्व ऋषि दयानन्द सरस्वती ने वेदों पर आधारित आर्य-हिन्दुओं के पांच कर्तव्यों

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