मकड़ी
”न तो कोरोना खत्म हो पा रहा है, न लॉकडाउन. अभी एक लॉकडाउन समाप्त होता ही नहीं, कि कोरोना के
Read Moreअपने यूरोप प्रवास के दौरान जर्मनी,आस्ट्रिया और चेकगणराज्य जैसे दुनिया के सबसे समृद्धिशाली देशों के कई शहरों यथा बर्लिन ,बैंबर्ग,
Read More01 बेदना के स्वरों मे मै पलता रहा, मोम सा हरदम यू ही गलता रहा। हवाओ ने तो आहत किया
Read Moreकुछ दिन पहले मैं एक धार्मिक हिन्दू से बात कर रहा था । हमारी चर्चा का विषय धर्म, परमेश्वर और
Read Moreप्रेम त्याग तपस्या है प्रेम ना रीति है प्रेम ना रिवाज धर्मों से परे जातियों से अलग ये एक अनछुआ
Read Moreगाड़ी जैसे ही प्लेटफोर्म पर रुकी, विचारों के जाल में उलझे मनोज ने तेज़ी से अपना बैग उठाकर कंधे पर
Read Moreफूल हमेशा बगिया में ही, प्यारे लगते। नीले अंबर में ज्यों चाँद-सितारे लगते। बिन फूलों के फुलवारी है एक बाँझ
Read Moreहिंदी लेखक रूपनारायण सोनकर की स्वानुभूति (भटकटैया, हंस, नवम्बर 2019) है, जिनमें उनके द्वारा रचित वैज्ञानिकी फ़िक्शन ‘सूअरदान’ से चुराई
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