सो जाती है न्याय व्यवस्था
पीड़ित को दे तारीखें जब, सो जाती है न्याय व्यवस्था। तब कानून कबीलों वाले, जनता को भाने लगते हैं।। कुछ
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Read Moreतुलसीदास जी की चौपाई की ये पंक्तियाँ विचारणीय हैं , जिन पर काफी कुछ लिखा जा सकता है । इन
Read Moreचींटी जब पथ पर बढ़ती है। ऊँचे पर्वत पर चढ़ती है।। चढ़ती फिर नीचे गिर जाती। गिर गिर कर मंजिल
Read Moreवाराणसी की गौरवशाली साहित्यिक संस्था ” साहित्यिक संघ, वाराणसी ” के 28 वें वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर वरिष्ठ कवि
Read Moreसर्दी का प्रकोप दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। दिन भी ठंडा है और रात भी ठंडी है। इस ठिठुरन
Read More‘बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब कहां
Read Moreरे नरभक्षियों ! तुम्हारी वज़ह से आज फिर मानवता शर्मसार हुई तुम्हारी हैवानियत ने आज फिर एक माँ की कोख
Read Moreसमाज में जब भी कोई दुष्कर्म की लोमहर्षक घटना प्रकाश में आती है तो उसके लिए कठोर सजा के प्रावधान
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