धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सन्तान के जीवन में माता-पिता का स्थान स्वर्ग से भी बढ़कर है

ओ३म् हम संसार में अपनी अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न हुए हैं वा हमने अपनी माता से जन्म लिया

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

प्रतिदिन स्वाध्याय सबके जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिये

ओ३म् मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अजर, अमर, सूक्ष्म, ससीम, जन्म-मरणधर्मा, कर्म के बन्धनो में बंधी हुई, वेद ज्ञान प्राप्त

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