यूँ तो हमेशा ही
यूँ तो हमेशा ही ये लब, ये आँख मुस्काती रही। दिल से रोने की मगर आवाज़ संग आती रही।।
Read Moreयूँ तो हमेशा ही ये लब, ये आँख मुस्काती रही। दिल से रोने की मगर आवाज़ संग आती रही।।
Read Moreकंठ तब होता मुखर है। भाव जब होता प्रखर है। भीतर बवंडर डोलता है, और हृदय ये बोलता है,
Read Moreदीप जला एक सपने में, वह सपना चंचल भोला था मृग नयनों ने जब पाला तो, मृदु अधरों ने भी
Read Moreचिंता सदा से चिता के समान रही है। ऐसा हमारे बुजुर्गों ने कहा, भगवान ही जाने बुजुर्गों ने कहा भी
Read Moreदिल्ली मेट्रो में यमुना का पुल पार करते हुए पिछले एक दो दिनों से एक अजीब सा कोहरा आसमान में
Read Moreहमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है. इस किताब में चट्टान, पहाड़,
Read Moreबात उनसे नहीं करनी पर बात उनकी ही करनी है मिल जाते है कई लोग पर राह उसकी ही तकनी
Read Moreदीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप अर्थात दीया एवं आवली अर्थात् लाइन या श्रृंखला के मिश्रण से
Read Moreहमारे देश में हर साल अक्टूबर के महिने में बड़े पूँजीपतियों और कार लॉबी द्वारा अधिकतर पोषित पालतू दृश्य और
Read More