मुक्तक
“मुक्तक” बादल वर्षा ले गया, हर्षित लाली व्योम। रविकर की अद्भुत छटा, चिपका तन में रोम। हरियाली गदगद हुई, आयी
Read Moreराधा कान्हा ही जपे , कहाँ गया चितचोर । मोहन को ढूँढ़ूँ कहाँ , हो जायेगी भोर ।। कुंज गली
Read More1- तोड़ नेह के बाँध तुम, चले गये चितचोर । धधक रही अति वेदना,मचा हृदय में शोर ।। दावे सारे
Read Moreक़तर रहे हैं पंख वो, मेरे ही लो आज ! सीखे हमसे थे कभी, भरना जो परवाज़ !! आखिर मंजिल
Read Moreभाई से भाई लड़े , मन में रखता घात । जैसे ही मौका मिलेे , दे देेता है मात ।।
Read Moreदुनिया सारी झूठ है ,झूठ सारा जहान,झूठ को सत्य मान ले,इसमें तेरी शान। —सच का इक दीपक जला,झूठ हुआ बेहाल,पर
Read Moreदेश रक्षा की खातिर जो अमित बलिदान देते हैं, चीर सीना हिमालय का शत्रु को मात देते हैं। कई लाशें
Read Moreअनुपम कवि टैगोर थे, माना कुल संसार। भारत को उनसे मिला, नोबल का उपहार। प्रतिभा उनमें थी बड़ी, लेखन था
Read Moreइतनी होती है सखे , तेज कलम में धार । पहुँचा सकती कल्पना , सात समंदर पार ।। रिश्तों में
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