लिख देता हूँ
तुम से है मुहब्बत इसलिये तो लिख देता हूँ दिल में दबा कर कितना रखूं अपने जज्बात लिख देता हूँ
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Read Moreपहले लालच सवार हुआ फिर लालच में लाचार हो गये रिश्ते नाते इस जमाने में सब लालची व्यापार हो गये
Read Moreमुसलाधार बारिश रात भर होती रही, शिवालिक पहाड़ियों के बीच बहती ब्यास के किनारे बसे गांव के लोग अभी अपने
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Read More“नसीब अपना हो या अपनों का कभी एक सा नहीं होता कभी किसी कि ख्वाइशें पूरी होती हैं तो कभी
Read More“ देहाती काव्याभिनन्दन ” लघुकाव्य पुस्तिका है, जिसकी रचनाएं सीधे हृदयतल तक कम्पन करा दें | करीब सत्रह (17) रचनाकारों
Read Moreगांव में सड़क के किनारे बरगद का पेड़! महज पेड़ भर नही, रोज़ उगते और डूबते सूरज और चहचहाते पंछियों
Read Moreनन्ही-सी मैं चिड़िया हूं, अपनी ममा की गुड़िया हूं, लगती हूं मैं भोली-सी, बड़ी गजब की पुड़िया हूं. अभी तलक
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