लघुकथा – भिखारी
हम कुछ मित्र नौकरी करने के लिए प्रति दिन ट्रेन पर लगभग 60 किलोमीटर का सफर तय करके दूसरे शहर
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Read Moreदिनेश के पिता राजीव पिछले कई दिनों से बेटे को कुछ उदास देख रहे थे। आखिर आज पूछ ही लिया।
Read Moreहाँड़ कँपा देने वाली ठंड पड़ रही थी।हम दोनों लोग अभी भोजन कर ही रहे थे कि किसी ने दरवाजे
Read Moreव्हाट्सएप पर बेटे का मैसेज था,”पापा इस महीने रूपये नहीं भेज पा रहा हूँ। किसी तरह मैनेज कर लेंगे।”
Read Moreरुपा की डिलिवरी के समय भी काफी दिक्कतें आई थी…और अब तो उसे अपने बच्चे के लिए हमेशा ही साथ
Read Moreमेरे घर के सामने वाले घर पर जाड़े के दिनों में कभी धूप नहीं आती। एक दिन मैंनें सामने वाले
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