लघुकथा – सुकून
व्हाट्सएप पर बेटे का मैसेज था,”पापा इस महीने रूपये नहीं भेज पा रहा हूँ। किसी तरह मैनेज कर लेंगे।”
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Read Moreरुपा की डिलिवरी के समय भी काफी दिक्कतें आई थी…और अब तो उसे अपने बच्चे के लिए हमेशा ही साथ
Read Moreमेरे घर के सामने वाले घर पर जाड़े के दिनों में कभी धूप नहीं आती। एक दिन मैंनें सामने वाले
Read Moreकल से उसकी बहुत याद आ रही थी। अजीब जी बेचैनी थी।ऐसा लग रहा था कि वो किसी संकट में
Read Moreशहर की सड़क को गांव से जोड़ने वाला रास्ता आज भी कच्चा है, हाँ ! शहर होने के बाद अक्सर
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