एक था मोनू
बाजार से घर आते हुए एक जाना पहचाना स्वर सुनकर पीछे मुड़कर देखा । आवाज देने वाला कोई और नहीं
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Read Moreमेरे पिता ज़मीदार नहीं थे पर उनका रुतबा किसी ज़मीदार से कम नहीं था। उनका रुतबा होता भी कैसे कम
Read Moreधान रोपनी के बाद भी रमेसरा परेशान है, पूरा सरेह पानी के लिए मुंह बाए खड़ा है, सूर्यदेव अलगे आग
Read Moreविद्यालय का यह रिवाज़ था कि जो भी कर्मचारी सेवा निवृत होता था, उसे पूरा विद्यालय मिलकर विदाई देता था
Read Moreप्रिय दिलीप अंकल, नमस्ते। मैं? तमलाव गांव से ललिता। आप हमारे गांव के स्कूल में परमाणु ऊर्जा के सदुपयोग पर बिजली
Read Moreख्वाहिश तो हर ममी पापा की यही होती है कि उनका बेटा या बेटी ही टॉप करे, हर लिहाज से
Read Moreमेरे घर से लगभग चार-पांच किलोमीटर की दूरी पर एक अनाथ- आश्रम है। जिसमें दो साल से लेकर पंद्रह साल
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