एक मुर्गी की कहानी
आज जो कदम मैं उठाने जा रही हूँ शायद उसके पीछे अपने पापा के लिए बचपन से दबे मेरे रोष
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Read Moreशादी की बीसवीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे। संसार की दृष्टि
Read Moreन तो ज़िंदगी रुकती है और न ही साहसी राही. उसकी ज़िंदगी भी रुकी नहीं, अपनी चाल से चलती गई.
Read Moreनीरू घर-दफ्तर का काम करने के बावजूद लेखन में भी व्यस्त रहती थी. वह अधिकतर सकारात्मक लेखन करती थी और
Read Moreरमेश को बचपन से ही हमेशा अपने पिताजी से शिकायत रहती थी. कारण भी कोई विशेष नहीं था. बस बात
Read Moreयूं तो दुनिया भर में कई रिश्ते मौजूद हैं- माता-पिता का अपने बच्चों से, भाई-बहन का एक-दूजे से, लेकिन इन
Read More“बात सिर्फ खानपान की ही नही कोई भी बात ज्यादा हो तो उससे अपच होने लगता हैं … उलटने लगता
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