“गज़ल”
हम तेरे चाहने के सिवा आ गए जिंदगी जिंदगी को लिवा आ गए कितनी राहें घुमाई भुले भान को गम
Read Moreविवाह बंधन तोड़ दूँ क्या अकेला तुझे छोड़ दूँ क्या? हर महीने रख पगार हाथ मायके ओर दौड़ दूँ क्या?
Read Moreभूखे की भूख का भी तू ख़्याल कर सिर्फ़ खुद को ही मत मालामाल कर । मालपुओं की पार्टियाँ खूब
Read Moreदुनिया में जिधर देखो हजारो रास्ते दीखते मंजिल जिनसे मिल जाए बह रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कहदे हम
Read Moreजिंदगी बन कर तेरी मेरी कहानी रह गई, आँखों में बस मेरी अश्कों की रवानी रह गई, रास न आया
Read Moreकभी तो दिन वो आएगा, सभी के अपने घर होंगे। मिलेंगी रोटियाँ सबको, न सपने दर-बदर होंगे। मिलेंगे बाग खेतों
Read Moreचंचल नदिया जैसा ये मन बह जाता भावों में ये मन उलझन में है हर पल रहता बुनता ताने बाने
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