आजकल रख़ना ज़रूरी है नज़र हालात पर
आजकल रखना ज़रूरी है नज़र हालात पर क्या पता की रूठ जाए कौन कब किस बात पर की बहुत बातें
Read Moreआजकल रखना ज़रूरी है नज़र हालात पर क्या पता की रूठ जाए कौन कब किस बात पर की बहुत बातें
Read Moreये नहीं सच कि मुझे उससे मुहब्बत कम थी उसकी नज़रों में वफ़ाओं की ही क़ीमत कम थी टूटकर बाग़
Read Moreरिश्तों के पुल टूट गये हैं. तट ने कितने जख़्म सहे हैं. उसका सच भी झूठा लगता, उसने इतने
Read Moreजो बतियाते सिर्फ कलम से, अँधियारों में। वो कब छपते खबरों में या, अखबारों में। नमन उन्हें जो, धर आते
Read Moreमैं नींव का पत्थर हूँ मेरा नाम नहीं है रातें हैं मेरे नाम सुबह-शाम नहीं है सदियों से खड़े हैं
Read More