गीतिका : ऋतु वर्षा
मन भाए मेरे बदरा, भिगा जा मुझे छाई कारी बादरिया, जगा जा मुझे मोरी कोरी माहलिया, मुरझाई सनम रंग दे
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Read Moreआज फिर बारिश डराने आ गयी। पर्वतों पर कहर ढाने आ गयी। मेघ छाये-गगन काला हो गया, चैन आँखों का
Read Moreमौक्तिका (बचपन जो खो गया) 2*9 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘गया’, समांत ‘ओ’ स्वर) जिम्मेदारी में बढ़ी उम्र की, बचपन वो
Read Moreमौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको
Read Moreअपने होने के हर एक सच से मुकरना है अभी ज़िन्दगी है तो कई रंग से मरना है अभी तेरे
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