मुक्तक/दोहा

मुक्तक/दोहा

दोहे : त्यौहारों पर किसी का, खाली रहे न हाथ

श्राद्ध गये तो आ गये, माता के नवरात्र। लीला का मंचन करें, रामायण के पात्र।। — विजयादशमी साथ में, लाती

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कुण्डली/छंदमुक्तक/दोहा

नवरात्र पर दो रचनायें

नवरात्र पूजा घनाक्षरी छंद (कवित्‍त) महागौरी, कूष्माण्‍डा माँ, पूजूँ मैं धूप दीप से, ढोल नगाड़े बाजे से, घर में पधराऊँ।

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मुक्तक/दोहा

गांधी एवं शास्त्री जी पर दोहे

दो अक्टूबर को हुए,लिये अनोखा काम । गांधी लाल  बहाद्दुर,उन  दोनों  के नाम ।। ===================== अठारह सौ उनहत्तर,वर्ष समझ यह खास ।

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मुक्तक/दोहा

प्रेरक दोहे

अब तो अपनी सोच को,बदलो पाकिस्तान । घर में घुसकर  मारते,जब  लेते  हम  ठान ।। निकल गया जो हाथ से,बाद

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