सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक
मन को हरते है सदा, मीठे मीठे बोल। बोल अनोखी चाशनी, रिश्तों में दे घोल ।। घोल प्रेम संसार में
Read Moreमन को हरते है सदा, मीठे मीठे बोल। बोल अनोखी चाशनी, रिश्तों में दे घोल ।। घोल प्रेम संसार में
Read Moreसच्चे पावन प्यार से, महके मन के खेत ! दगा झूठ अभिमान से, हो जाते सब रेत !! किस से
Read Moreनया साल लो आ रहा, लेकर सुख दुख गीत,दूजों का दुख बाँट के ,दो उनको सुख मीत। कुछ को लगता
Read Moreधुंध पर कुछ काव्य-रचनाएं 1.चलती रही जिंदगी कभी धुंध के साथ चलती रही जिंदगी, कभी अंधेरे के साये में भी
Read Moreहोते है बस नाम के, रह जाते बेनाम । रिश्ते इंटरनेट के , आते कब हैं काम ।। जबरन पकडे
Read Moreकरोना के कहर से आज गंगा घाट सन्नाटा। दिवस कितना हुआ मायूस कुछ मन को नही भाता। पतित पावन सभी
Read Moreकिस्मत बुलंद कर लो हंसकर जीना दस्तूर है जिंदगी का, एक यह किस्सा मशहूर है जिंदगी का, बीते हुए पल
Read Moreमोल जानता है सबके चेहरे में वह बात नहीं होती, थोड़े-से अंधेरे से रात नहीं होती, ज़िंदगी में कुछ लोग
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