गाँव के दोहे
कितना मोहक,नेहमय, लगता प्यारा गाँव । हनमत-मंदिर सिद्ध है,बरगद की है छाँव।। रज़िया-राधा हैं सखी,मित्र राम-रहमान। सारे मिलकर पूजते,गीता और
Read Moreकितना मोहक,नेहमय, लगता प्यारा गाँव । हनमत-मंदिर सिद्ध है,बरगद की है छाँव।। रज़िया-राधा हैं सखी,मित्र राम-रहमान। सारे मिलकर पूजते,गीता और
Read Moreचीरहरण को देखकर, दरबारी सब मौन ! प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन !! राम राज के नाम पर, कैसे हुए
Read Moreजीवन में आनंद का, बेटी मंतर मूल ! इसे गर्भ में मारकर, कर ना देना भूल !! बेटी कम मत
Read More(1) मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन मैं चलकर
Read Moreतेरे आँचल में छुपा, कैसा ये अहसास। सोता हूँ माँ चैन से, जब होती हो पास।। माँ ममता की खान
Read Moreताउम्र निभाता रहा फर्ज, खुद की खातिर कभी जिया ना, सुकुन से बैठकर नहीं खायी रोटी, दो घूंट पानी पिया
Read Moreबरगद और बुजुर्ग को मानता अब कौन है? वक्त के चक्र को भला जानता कब कौन है? अहमियत इन दोनों
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