दोहा छंद
दीप बुझे सद्भाव के, हुए बुरे हालात। हाथों में खंजर लिए, करें प्रेम की बात।। स्वार्थ साधने के लिए, खेलें
Read Moreअंतर्मन में घुल गया, विष बनकर आघात ! सुबहें गहरी हो गयीं, घायल है हर रात !! धुंआ हो गयी
Read Moreख़ुदा का हुक़्म है एक दूसरे से प्यार करें बड़ी हो जाति तो उसपे न अहंकार करें अछूत जाति से
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