“मुक्तक”
पग बढ़ा करते नहीं जब दिल के अंदर घाव हो। उठ के रुक जाते नयन जब हौसला आभाव हो। बज
Read Moreमाता सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read Moreदर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप ! वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप !! इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर
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