नववर्ष
अलौकिक अवधारणा से पूर्ण हो नूतन वर्ष की परिकल्पना , संदेश प्रेम भरा संसार में हर पल फैलाना तुम ।
Read Moreकर गुप्त श्रृंगार, उल्लसित फुहार धम-धम-धमाक दहलाया है उमड़-घुमड़ मेघों के बीच सावन फिर आज गहराया है। तड़-तड़-तड़ित विद्युत जनित
Read Moreरातों की सीयाही में अस्मत के लुटुरे हैं गुनाह में डूबे दिल, मन में भी अंधेरे हैं इंसानी जिस्म में
Read Moreहार यूँ तो मैं मानती नहीं मायूस होना जानती नहीं फिर भी लाज़िम है कभी ग़मग़ीन मैं हो भी जाऊँ
Read Moreसतानें लगी है चिंता अब घर की। आती हर रोज बुरी खबर उधर की। उतरता है ख़ंजर मासूम के दिल
Read Moreठूंठ वृक्ष है रहित पात से ,सन्नाटा है छाया । हरियाली का चीर हरण कर ,पतझड़ है इतराया ।। नयन
Read Moreलफ़्फ़ाज़ों के हम नहीं, बन सकते हमराज़। करना होगा अब हमें , एक नया आग़ाज़। गाता अपना गीत हूँ ,
Read More