ग़ज़ल
सटीक बात की, आक्षेप बाँधनू क्या है ये बातचीत में खरसान बैर बू क्या है? नया ज़माना नया है तमाम
Read Moreदर्द तो याद नहीं रहता , पर उसके दिये निशान हमेशा साथ रहे जाते है! बिलकुल बचपन की चोट की
Read Moreआज मेरे अल्फ़ाज़ मुझसे खफा हो गए । खिड़की के रास्ते दफा हो गए । कितने मासूम लगते मुंह के
Read Moreद्वारे को दीप भी देहरी उदास। तेरे आगमन की आंगन को आस। आओगे हे दिल में आस। बांट लोगे दुःख
Read Moreवो युवा से खुद की तकदीर लिये खुले मंच पर चढ़कर बोले, जिता दो भईया हमको बदल देगें रूख हवा
Read Moreहो जाऊं मै इतना दीवाना । तुम छोड़ दो मुझको समझाना । क्या ठीक है और गलत क्या है, इस
Read Moreगजल : कुमार अरविन्द मुहब्बत की गली कूचों में क्या है | इधर देखो मेरी आँखों में क्या है |
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