ग़ज़ल
ए इनायत है खुदा की जो गुलामी मिट गई बन गए हम दोस्त, ज़हमत दुश्मनी भी मिट गई | पल
Read Moreउजियारे को तरस रहा हूं, अँधियारे हरसाते हैं ! अधरों से मुस्कानें गायब, आंसू भर-भर आते हैं !! अपने सब
Read Moreकुर्सी और वोट की खातिर काट काट के सूबे बनते नेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुए दिल्ली
Read Moreआज शरारत आंखों में है , अधरों पर मुस्कान ! दिल है बेईमान ज़रा सा , अधरों पर मुस्कान
Read Moreमौन मेरा आज कुछ बातों को सिक्के की तरह उछाल रहा है गगन की ओर चित्त और पट अब मन
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