विश्व जल दिवस पर एक रचना….
श्रृंगार छ्न्द अरे….! हो जाये हाहाकार। न लूटो जीवन का आधार। प्रथम जल जीवन है तो जीव। अन्यथा तृण मानव
Read Moreश्रृंगार छ्न्द अरे….! हो जाये हाहाकार। न लूटो जीवन का आधार। प्रथम जल जीवन है तो जीव। अन्यथा तृण मानव
Read Moreमोती जैसे अक्षर हैं, सुंदर शब्द सुजान भाव मनोहर लिख रही, कोरे पन्ने मान कोरे पन्ने मान, बिहान न
Read Moreकभी तो दिन वो आएगा, सभी के अपने घर होंगे। मिलेंगी रोटियाँ सबको, न सपने दर-बदर होंगे। मिलेंगे बाग खेतों
Read More(तर्ज़- बाजे-बाजे रे बधाई बहिना तेरे अंगना——) लेके नौ दिन की बहार मैय्या राणी आई है मैय्या राणी आई है,
Read Moreचंचल नदिया जैसा ये मन बह जाता भावों में ये मन उलझन में है हर पल रहता बुनता ताने बाने
Read More