कागज दिल
कहा हो प्रीतम ! ये आंखें ढूंढ रही है आ जाओ तुम अब क्यों रूठे हो तुम आकर तुम बोलों
Read Moreभूखे की भूख का भी तू ख़्याल कर सिर्फ़ खुद को ही मत मालामाल कर । मालपुओं की पार्टियाँ खूब
Read Moreमाता सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read Moreदर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप ! वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप !! इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर
Read Moreसंघर्ष जीवन में अनेक नित नये अनुभूतियां कराते है। सूर्य स्वयं जलकर सारे संसार को प्रकाशित कर देता है जैसे
Read Moreहे मात अम्बे रानी, हे मात अम्बे रानी। सुन लो पुकार मेरी, कष्टों में जिंदगानी। महिषा असुर से फिर माँ
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