“गीतिका”
आइए इनसे मिलिए कुछ विरासत की बात करते हैं आज इनके लिए भी कुछ वक्त अपना बर्बाद करते हैं हम
Read Moreकली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो,
Read Moreसारा आलम जाने क्यूं “ग़मगीन” हुआ है, हवाओं से ज़ुर्म कोई “संगीन” हुआ है ! रंग नहीं ये होली का,
Read Moreरुक मत चल घर धोखा है ….. क़दम – क़दम पर धोखा है ….. घूम रहा है हर कोई …..
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