शिक्षक दिवस पर विशेष : गुरु पर कुछ दोहे
बिना गुरु ज्ञान जग में, पा ना पाया कोय। गुरु का जो मान रखा, जग बैरी न होय।1। गुरु को
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Read Moreहै उम्र गुज़ारी हमने, किताबों के सफ़र में ! जिन्दगी को सुलझाना, हमें आता ही नहीं हैं !! न जाने
Read Moreन छेड़ो जख्मों को, लगेंगे फिर से रिसने ! वो जुदा हो रहें हैं हमसे, पर वह इसे मानते नहीं
Read Moreचित्र अभिव्यक्ति आयोजन चाहे काँटें पथर पग, तिक्ष्ण धार हथियार पुष्प प्रेम सर्वत्र खिले, का करि सक तलवार का करि
Read Moreधुंध और धूप का रिश्ता विचित्र है दोनों शब्द ‘ध’ वर्ण से सृजित हैं यद्यपि दोनों का कोई मेल नहीं
Read Moreमाँ ! अब तो बेटे पर तरस खाओ उसे इतना मत डराओ । नादान पुत्र है कर दिया होगा
Read Moreमन बुढा हो तो तन बुढा ‘ सीख़ हमें दे जाती है सौ साल की दादी जब ‘ स्वर्ण पदक
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