पद्य साहित्य

कविता

अर्थ का अनर्थ (अब तो आ कान्हा जाओ)

कृष्ण जन्माष्टमी बिशेष अब तो आ कान्हा जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज

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