भ्रम
जिसको बस्ती समझता रहा , उम्र भर दरअसल , वही मरघट निकला । जहां से प्रत्येक क्षण लाशें निकलती है
Read Moreप्यारी सी गौरैया तोरे अंगना कैसे आऊँ ? मक्खनबाज ,मतलबी मानव को कैसे समझाऊँ ? अंगना में लागो पेड़ कटायो
Read Moreजेमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा स्वामी विवेकानद जयंती के अवसर पर 12 जनवरी 2021 को एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया
Read Moreयुवा शक्तियो ! जागो माँ भारती की पुकार सुनो अपने अंतर्मन के प्रकाश पुंज को प्रकाश में लाओ। अब न
Read Moreउम्र तो है आंकड़ों का खेल अभी हूं जवां मैं तन से मैं थका नहीं मन से थका नहीं थकना
Read More1. जीवन जब आकुल है राह नहीं दिखती मन होता व्याकुल है। 2. हर बाट छलावा है चलना ही होगा पग-पग
Read Moreएक रात में रद्दी, अखबार हो क्या? खून के प्यासे, तलवार हो क्या? करते हो कविता, बेकार हो क्या? डरते
Read Moreस्याही-कलम-दवात से, सजने थे जो हाथ ! कूड़ा-करकट बीनते, नाप रहें फुटपाथ !! बैठे-बैठे जब कभी, आता बचपन याद !
Read More