यशोदा छंद
विधान~ [ जगण गुरु गुरु ] (121 2 2) 5 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत…….ॐ जय माँ शारदे……! “यशोदा छंद”
Read Moreऔरत की किस्मत में कितने गम है पुरुष कहते यह तो बहुत कम है| औरत की आँखे होती हमेशा नम
Read Moreशांत, व्यवस्थित, योजनाबद्ध शहर । लिए आगोश में, प्राकृतिक नजारे। कल तक था मैं… इक स्मार्ट शहर ॥ आज …
Read Moreसुनो दस्तक … चाहे परिवर्तन अब नारी । बीता वो युग, जब थी नारी “केवल श्रद्धा । जो बन कठपुतली
Read Moreगौ सृष्टि का आरम्भ है •••••••••••••••••••••• गौ सृष्टि का आरम्भ है शुभारंभ है | गौ मानवता की पौशक है दानवता
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