कविता
अब नहीं लगते वो मेले हँसी के वो बेफिक्र ठहाके माप तौल ही अब तो बस दिखती अब तो ऐसे
Read Moreहम तुम्हारे लिए,तुम हमारे लिए जन्मों -जन्मों की सौगंध खाएं प्रिये ! एक पल के लिए भी न हों दूरियां
Read Moreअनोखा जीवन पाकर कहे भाग्यवान नहीं है कैसा है इंसान मुख पर मुस्कान नहीं है वैभव के लिए विभूषित जीवन
Read Moreआज गाँव से एक तार आया है ! लिखा है कि , माँ गुजर गई……..!! इन तीन शब्दों ने मेरे
Read Moreइन्द्र ने की है महेर, चलो करे थोड़ी सी सहेर.., इस बारीश में! ठंडी हवाओं के बीच, पानी की बूँद
Read Moreवो जो अपनी माँ का एक बेटा था वो आज बहुत उदास है ! बहुत बरस बीते , उसकी माँ
Read Moreमाँ को मुझे कभी तलाशना नहीं पड़ा; वो हमेशा ही मेरे पास थी और है अब भी .. ! लेकिन
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