श्रमजीवी औरतें
कालीनों पर नहीं चलती ये औरतें नरम गद्दो पर नहीं सोती ये औरते कंकरीले पथ पर चलती हैं इमारतें यूं
Read Moreकालीनों पर नहीं चलती ये औरतें नरम गद्दो पर नहीं सोती ये औरते कंकरीले पथ पर चलती हैं इमारतें यूं
Read Moreकड़ी चुनौती स्वीकार करने, खड़ी हुई दिन रात। चट्टानों को तोड़ के रख दे,
Read Moreऊर्ध्व उठ देख हैं प्रचुर पाते, झाँक आवागमन बीच लेते तलों के नीचे पर न तक पाते, रहा क्या छत
Read Moreकितने इम्तहान दिये मैंने, कितनी तकलीफें सही मैंने, मगर तेरे दिल के किसी कौने में, में नहीं। बरसों इन्तजार किया
Read Moreहमने अपने-पराये देखे ख्वाब बड़े-बड़े सुहाने देखे गम का सागर देखा खुशियों का पिटारा देखा धूप-छाँव का खेल निराला देखा
Read Moreमंदम् मंदम् अधरम् मंदम् स्मित पराग सुवासित मंदम्। सरल सुबोधा ललिता रमणम् भगवद्गीता अति रमणम्। विरचित व्यासा लिखिता गणेश: अमृतवाणी
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