जागृति
अब छोड़ भरम पदचिन्हों का अपनी तू कोई राह बना जानी पहचानी क्या करना कदमों के नए निशान बना, क्या
Read Moreआया ‘कोरोना वायरस’ सबसे ज्यादा हम बेहाल हुये, सच कहता हूँ, हम मजदूरों के बहुत ही बुरे हाल हुये। छूटा
Read Moreमर्म नहीं, खुले में कर्म की बात करेंगे विश्व चेतना के साथ अपनी शक्ति को जोड़कर हम भी कुछ रचेंगे
Read Moreदोस्ती का रिश्ता बड़ा ही नायाब होता है। यह तो जैसे कुदरत की बख़्शीश होता है। बड़े खुशकिस्मत होते हैं
Read Moreयह बासठ का हिन्द नहीं बीस बीस का भारत है।। सीमा पर गुस्ताखियों की फौज सुनो जरा यहाँ का हर
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