वन और जीव
मुझको लगते है प्यारे , वन्यजीव देखो हमारे । अब इनको बचाना है , बचेंगे तभी वन हमारे ।। क्यों
Read Moreदर्द का सा नशा हैं स्मृतियों में, जो अधरों पर अदा रूप में आता हैं। इन्द्रधनुष सा रंग दिखाता, औ
Read Moreचिलचिलाती धूप दर-दर का मौसम बदल रही है सुबह से नाराज पसरी आग बरसे दोपहर में छाँह के भी अधर
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