कविता – स्मृतियां
दर्द का सा नशा हैं स्मृतियों में, जो अधरों पर अदा रूप में आता हैं। इन्द्रधनुष सा रंग दिखाता, औ
Read Moreदर्द का सा नशा हैं स्मृतियों में, जो अधरों पर अदा रूप में आता हैं। इन्द्रधनुष सा रंग दिखाता, औ
Read Moreचिलचिलाती धूप दर-दर का मौसम बदल रही है सुबह से नाराज पसरी आग बरसे दोपहर में छाँह के भी अधर
Read Moreसूरज का कोप गर्मी बन बरस रहा धरती का आँचल पानी बिन तरस रहा वक्र हवा सर्पिणी सी
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