जीवन क्रीड़ा
सोच न बंदे गंदगीतु कर ले ईश्वर की बंदगी। यही तो जीवन की मर्यादा हैतु खुद का ही भाग्य विधाता
Read Moreसोच न बंदे गंदगीतु कर ले ईश्वर की बंदगी। यही तो जीवन की मर्यादा हैतु खुद का ही भाग्य विधाता
Read Moreसम्मान तुम्हारा तब तक रहेगा,जब तक स्वाभिमान न डिगेगा।यदि ठेस पहुंची मेरे मान को,फिर नमन नहीं अपमान मिलेगा। झुकना विनम्रता
Read Moreयही स्वाभाव है,समर्पित मन का संकल्प है,हिमालय की परिकल्पना में,सहृदय सद्भाव है। नश्वर शरीर में मौजूद,उम्मीद की किरण है।नवीन चेतना
Read Moreपा लेने की हरेक पड़ाव पर मन की बेचैनी से,ही सुकून तड़पती रही है,उम्मीद में,अवरोध की शक्ति हर वक्त बढ़ती
Read Moreऐ सरकार!आपसे एक इल्तज़ा हैकरना स्वीकारनिज खातिर नही माँग रहा भीखथोड़ा समझना,गहन-चिंतन करनाबीते आपदाओं से लेना सीखप्रकृति जब विकराल रूप
Read Moreअपना गांव तो आजकल गुलसितां है लगताहर तरफ रंग बिरंगे फूलों का बाजार है सजताजिधर भी नज़र दौड़ाएं फूल ही
Read Moreये कलम वालेदो धारी तलवार लिए फिरते हैं,शरीर तो शरीरअंतस पर वार किये फिरते हैं,इनका नजरियानजरानों के अनुसार होता है,पराए
Read Moreमुद्दतें गुज़र भी गईं , और मैं अब बूढ़ा हो गया ।बात क्या है कि यादें तेरी मेरे दिल से
Read Moreकुछ पुरानी तस्वीरें फिर से मुस्कुराईं,वो पहली मुस्कान, वो हल्की सी शरमाहट,जैसे वक्त की किताब फिर से पलट गई। साल
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