कविता

कविता

सरकार से इल्तज़ा

ऐ सरकार!आपसे एक इल्तज़ा हैकरना स्वीकारनिज खातिर नही माँग रहा भीखथोड़ा समझना,गहन-चिंतन करनाबीते आपदाओं से लेना सीखप्रकृति जब विकराल रूप

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