दीदारे बेल
चौथे माह वेतन नहीं ! आर्थिक कड़की जारी ! आज दोपहर का यही है भोजन अपने पेड़ का बेल !
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Read Moreपराये घर जाना है तुझे रोटियाँ ज़रा ठीक से बनाना सीख ले कुछ सिलाई करना कुछ बुनाई करना कुछ खोकर
Read Moreहे राष्ट्र के प्रहरी तुमसे , दिव्यता भी दिव्य हैसुर्य सम तेज पुंज भाल पे ,रूप अद्भुत भव्य हैहिमाद्रि चोटियों
Read Moreआज हवाओं को हमने अपने से प्रतिकूल लखा, जीवन रूपी बाला का उड़ता हुआ दुकूल लखा। दिन प्रतिदिन दुर्दिन से
Read Moreकौन झूठा है यहाँ ,और कौन सच्चा है यहाँ , जिंदगानी के इस सफर में कौन कच्चा है यहाँ .
Read Moreभारतवर्ष सदैव से एक अलौकिक राष्ट्र रहा, जहां अपने महापुरुषों का स्मरण करने की परंपरा रही है। अनेक सन्तों, वैज्ञानिक,
Read Moreमन के परिंदे ने अभी तक हौसला नहीं खोया है, उसका आत्मविश्वास अभी नहीं सोया है। थोड़ा डगमगा जरूर रहा
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