ट्रैफिक पेनाल्टी
ट्रैफ़िक पेनाल्टी पर श्री नीरज नीर– ‘मुर्दे चद्दर तान के, सोते हैं चुपचाप; जैसा जी में आए, नियम बनावें आप
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Read Moreकंधे पर रखे हल धरती पुत्र हुकुम सिंह अपने खेतों की मेड़ पर चला जा रहा था | पीछे से
Read Moreकितना अजीब लगता है जब हम कहते हैं कि इंसान बदल गया, परंतु हमने कभी अपने बारे में सोचा है
Read Moreप्यार के मधुरिम आखर बन जाऊं। सुरीले सरगम, गागर बन जाऊं। मैं तो सूखा हुआ इक दरिया हूं, तुम मिलो
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