ग़ज़ल
भरी बन्दूक, तुम गोली चला देना अभी अबला नहीं नारी, दिखा देना | अगर अब शत्रु टेढ़ी आँख से देखे
Read Moreअजब-गजब जग, नर छल मत कर, धरम-करम कर, जनम सफल कर । यह तन, मन,धन,जल,थल, परबत, सब अब रब कर,
Read Moreवीरबहूटी कहलाती हूँ। छूते ही शरमा जाती हूँ।। लाल रंग मखमल-सी काया। जिसने देखा रूप सुहाया।। रेंग – रेंग कर
Read Moreपृथ्वी इसका पर्यावरण व प्रकृति कितनी ताकतवर व सक्षम है कि पिछले सैकड़ों सालों से अंधाधुंध औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, नदियों, समुद्रों,
Read Moreएक कयास है– भारत का ‘राष्ट्रगान’ बांग्ला से अनूदित हिंदी भाषा में है । सुनी-सुनाई बात यह भी है कि
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