संवरने गये थे, ऊजड़कर लौट रहे हैं
रात के सन्नाटे भरे अंधेरे में दूर टिमटिमाती रौशनी तो सभी देखते हैं लेकिन अंधेरा कौन देखता है मगर क्या
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Read Moreमैट्रिक इम्तिहान में पांच बार फेल होने के बाद जब इस वर्ष मंगरा इंटरमीडिएट की
Read Moreऐसी भी क्या नाराजगी है , जो हाथ छुड़ाकर जाती है। ऐ जिंदगी! ठहर जा न, हम भी तेरे ही
Read Moreछत्तीसगढ़ से प्रकाशित प्रतिष्ठित समाचार पत्र नवीन कदम के द्वारा नवरात्रि के अवसर पर संयोजित साहित्य स्पर्धा में उत्कृष्ट सृजन
Read Moreआए नवरात्रे तेरे शेरावालिये, आए नवरात्रे तेरे महाकालिये। जहां घर-घर में तेरी ज्योति प्रकाश करती हैं , वहां आज कोरोना
Read Moreजिनके हृदय श्रीराम वसै तिन और का नाम लियो न लियो।।यह पंक्ति हमारे अराध्य की महत्ता को दर्शाता है। दो
Read Moreइरादे जिनके नेक उनको मंजिल से भेंट सियासत की,स्वभाव में वो धार कहाँ ? जो अड़िग होसलों को रोक पाते।
Read Moreसूरज के चहूँ ओर, घूमें धरती। वैसे ही तुम… मेरी हर रचना का, केन्द्र बिन्दु बन जाते हो। हर लफ्ज,
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