ग़ज़ल
आस्तीनों में छुपे साँप दग़ा देते हैं। खून अपनों का ज़माने में बहा देते हैं।। घर बनाने में बड़ी उम्र
Read Moreचली मनाने तीज सखी सब ,झूले डाले बागों में । गीत मनोहर छेड़ रही हैं ,मीठे -मीठे रागों में ।।1।।
Read Moreआज नभ में उड़ान भरते पंक्षी कहीं ठहरा गये हैं हम तरसते रहे उम्र भर आज भीे दोहरा गये हैं
Read More“देख नीति, तू ऐसा वैसा कुछ करने की सोचना भी मत| मनीष अच्छा लड़का नहीं है, माना कालिज में तुम्हारा
Read Moreभवानीमंडी। सामाजिक संस्था विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति, रोहतक हरियाणा द्वारा रविवार को जिला विकास भवन में राष्ट्रीय स्तरीय सम्मान
Read Moreजानती हूँ जितनी वफ़ा मैं जीती उसकी दो गुनी सांसे तुम्हारी है… रातें, लम्बी गहरी काली खामोश… फिर भी जिंदगी
Read Moreमेरी हृदय-कोशिकाएं भी झूल लेती हैं झूला एक ही साथ – एक ही प्रवाह में। जब कोई ऐसा लिखा पढ़ती
Read Moreचाहे जितना दौड़ यहां ले ! तू मौत से भाग नही सकता। थक जायेगा जिस क्षण में ! तू सांसे
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