मनविश्राम छंद “माखन लीला”
माखन श्याम चुरा नित ही, कछु खावत कछु लिपटावै। ग्वाल सखा सह धूम करे, यमुना तट गउन चरावै।। फोड़त माखन
Read Moreमाखन श्याम चुरा नित ही, कछु खावत कछु लिपटावै। ग्वाल सखा सह धूम करे, यमुना तट गउन चरावै।। फोड़त माखन
Read Moreमधुवन महके। शुक पिक चहके।। जन-मन सरसे। मधु रस बरसे।। ब्रज-रज उजली। कलि कलि मचली।। गलि गलि सुर है। गिरधर
Read Moreधार छंद “आज की दशा” अत्याचार। भ्रष्टाचार। का है जोर। चारों ओर।। सारे लोग। झेलें रोग। हों लाचार। खाएँ मार।।
Read Moreपादाकुलक छंद “राम महिमा” सीता राम हृदय से बोलें। सरस सुधा जीवन में घोलें।। राम रसायन धारण कर लें। भवसागर
Read More(बाल कविता) म्याऊँ म्याऊँ के दे बोल। आँखें करके गोल मटोल।। बिल्ली रानी है बेहाल। चूहे की बन काल कराल।।
Read Moreमानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा। नारी का सम्मान गिरा।। सत्ता के बुलडोजर से। उन्मादी के लश्कर
Read Moreछप्पय छंद “शिव-महिमा” करके तांडव नृत्य, प्रलय जग में शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते। देवों के
Read Moreउल्लाला छंद “किसान” हल किसान का नहिं रुके, मौसम का जो रूप हो। आँधी हो तूफान हो, चाहे पड़ती धूप
Read Moreचंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा” गिल्ली डंडा खेलते। ग्राम्य बाल सब झूमते।। क्रीड़ा में तल्लीन हैं। मस्ती के आधीन हैं।। फर्क
Read Moreएकावली छंद “मनमीत” किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा।। हृदय में, खिल गयी। कोंपली, इक नयी।। मिला जब,
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