विश्वास या अंधविश्वास
आज शाम जब मुझे पढऩे के लिए कुछ नहीं मिला , तो मैं अपने सामने रखे अल्मारी की तरफ बढ़ा,
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Read Moreधान पान अरु केरा, ई तीनों पानी के चेरा, बहुत पुरानी एक देशज कहावत है। यूँ तो पानी ही जीवन
Read Moreआज सुबह से ही ओमप्रकाश बाबू अपन मझिला लईका पिंटुआ पर पिनपिनाए हुए है, अचानक से नजर पड़ी ताश खेल
Read Moreपौष के माह में कड़ाके की ठड़ पड़ी रही थी। रात में पाला गिरने से सुबह धरती ऐसी लग रही
Read Moreएक अजीब सा अहसास लिए जीती हूँ, ज़िंदगी में दिल और दिमाग की भूमिका में कुछ उलझे-सुलझे रिश्तो के धागे
Read Moreजेठ की दुपहरी, पुरवईया हवा, पछिया हवा के साथ संघर्ष करती हुई, मालदह, कृष्णभोग और बमई आम-महुआ मादक गंध से
Read Moreआज बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट आने वाला है, ललनमा तो गौ माता को भोरे से जई, जनेरा काट के खिला
Read Moreइतनी रात का सफर किसे अच्छा लगता है भला? मगर क्या किया जाए? वहाँ के लिए बस ही रात को
Read Moreमै दंसवी की परीक्षा दे चूका था मेरे पिता जी का ट्रांसफर बनारस हो गया, हमलोग बनारस आ गए| मेरे
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