1. वासन्ती पर्व बन्धनों से हों मुक्त देती है सीख। 2. मन झूमता रंग की है बौछार मिलते यार। 3. हँसी-मज़ाक ये रंगीन-फुहार उम्र भुलाए। 4. फाग-तरंग हँसे मन मलंग खेलो रे रंग। 5. झूमके नाची अलसाई-सी देह होली के संग। 6. नशीला रंग मन को दिया रँग आओ खेले रंग। 7. होली रंगीन भिगोया […]
हाइकु/सेदोका
बाल दिवस पर हायकु
(१) आज के बच्चे क्रेच में है पलते मां कामकाजी (२) दादी ना नानी एकल परिवार आया का साथ (३) आज का युग नवीन टेक्नोलोजी भूले खिलौने (४) आज के बच्चे मोबाइल में मस्त भूले कबढ्ढी (५) गरीब बच्चे करते मजदूरी हर दिवस — गीता पुरोहित
बालों पर हायकु
(1) द्रुपद सुता अपमान बदले बाल बिखेरे (2) द्रोपदी प्रण बदला पूरा होगा बाल बांधूंगी (3) आज की बाला बाल बिखेरे रहे फैशन मारी (4) बाल सफेदी उम्र औ अनुभव निशानी होती (5) बिखरे बाल उड़ते उलझते परेशां करे (6) नवयौवना बिखरती हैं जुल्फें मोहक अदा (7) साधना बाल मजबूरी में कटे फैशन बने (8) […]
मृत्यु सत्य है
1. मृत्यु सत्य है बेख़बर नहीं हैं दिल रोता है। 2. शाश्वत आत्मा अपनों का बिछोह रोती है आत्मा। 3. काम न आता काल जब आ जाता अकूत धन। 4. यम कठोर आँसू से न पिघला, माँ-बाबा मृत। 5. समय पूर्ण, मनौती है निष्फल, यम का धर्म। 6. यम न माना करबद्ध निहोरा जीवन छीना। […]
किरायेदार (हायकू)
किरायेदार तुम्हारा दिल प्रिये बदल गया। इंतजार था मकान मालिक को तू लौटी नहीं। इश्क़ अधूरा छोड़ना चाहा नहीं लौटा लाया हूं। किराया फ़िर उतना ही देना तू पहले जैसा। तेरा कमरा आज भी वैसा ही है जैसा छोड़ा था। देखने आए नए किरायेदार चले गए वो रोक न पाया तुम्हारे कमरे में किसी को […]
हायकु
पिता सर्वस्व लघुतम जिंदगी में आपके, मेरे । लिये है भार निज परिवार का काँधे पे सारा । स्वयं को भूल मिट्टी धूल भी ओढे़ नहीं थमता । सब समझें परेशानी हमारी रहते मौन । सहते रहे बाहर दुःख कई गंभीर सदा । बाप कहते जिसको दुनिया में मानो ईश्वर । आप न होते जीवन […]
भोर (40 हाइकु)
1. भोर होते ही हड़बड़ाके जागी, धूप आलसी। 2. आँखें मींचता भोरे-भोरे सूरज जगाने आया। 3. घूमता रहा सूरज निशाचर भोर में लौटा। 4. हाल पूछता खिड़की से झाँकता, भोर में सूर्य। 5. गप्प करने सूरज उतावला आता है भोरे। 6. छटा बिखेरा सतरंगी सूरज नदी के संग। 7. सुहानी भोर दीपक-सा जलता नन्हा सूरज। […]
हाइकु – पिता
पिता का प्यार जीवन का आधार पालन हार शसक्त डोर सपनों की उड़ान उज्ज्वल भोर अभिमान है जिसके पास पिता पहिचान है पिता की गोद मुझे सुकून देती दुख बिसरे पिता विश्वास हर पल साथ हैं जीने की आस ज्ञान की खान आस्थाओ का सम्बल पिता आकाश नई उम्मीद जिंदगी की जंग में मेरे करीब […]
हाइकु
{1} सदुपदेश करलो आत्मसात गुरुजनों के [2] दूध औ पानी होते है आत्मसात एक दूजे में {3} सगर पुत्र गंगा अवतरण शिव ग्रहण {4} थोथा उडाय सार आत्मसात हंस समान {5} करो ग्रहण तात मात की सीख जन्म सफल (६) नदी बहती समुंद्र में समाती हो आत्म सात — गीता पुरोहित
दुलारी होली
1. दे गया दग़ा रंगों का ये मौसम, मन है कोरा। 2. गुज़रा छू के कर अठखेलियाँ मौसमी-रंग। 3. होली आई मन ने दग़ा किया उसे भगाया। 4. दुलारी होली मेरे दुःख छुपाई देती बधाई। 5. सादा-सा मन होली से मिलकर बना रंगीला। 6. होलिका-दिन होलिका जल मरी कमाके पुण्य। 7. फगुआ मन जी में […]