1. भोर होते ही हड़बड़ाके जागी, धूप आलसी। 2. आँखें मींचता भोरे-भोरे सूरज जगाने आया। 3. घूमता रहा सूरज निशाचर भोर में लौटा। 4. हाल पूछता खिड़की से झाँकता, भोर में सूर्य। 5. गप्प करने सूरज उतावला आता है भोरे। 6. छटा बिखेरा सतरंगी सूरज नदी के संग। 7. सुहानी भोर दीपक-सा जलता नन्हा सूरज। […]
हाइकु/सेदोका
हाइकु – पिता
पिता का प्यार जीवन का आधार पालन हार शसक्त डोर सपनों की उड़ान उज्ज्वल भोर अभिमान है जिसके पास पिता पहिचान है पिता की गोद मुझे सुकून देती दुख बिसरे पिता विश्वास हर पल साथ हैं जीने की आस ज्ञान की खान आस्थाओ का सम्बल पिता आकाश नई उम्मीद जिंदगी की जंग में मेरे करीब […]
हाइकु
{1} सदुपदेश करलो आत्मसात गुरुजनों के [2] दूध औ पानी होते है आत्मसात एक दूजे में {3} सगर पुत्र गंगा अवतरण शिव ग्रहण {4} थोथा उडाय सार आत्मसात हंस समान {5} करो ग्रहण तात मात की सीख जन्म सफल (६) नदी बहती समुंद्र में समाती हो आत्म सात — गीता पुरोहित
दुलारी होली
1. दे गया दग़ा रंगों का ये मौसम, मन है कोरा। 2. गुज़रा छू के कर अठखेलियाँ मौसमी-रंग। 3. होली आई मन ने दग़ा किया उसे भगाया। 4. दुलारी होली मेरे दुःख छुपाई देती बधाई। 5. सादा-सा मन होली से मिलकर बना रंगीला। 6. होलिका-दिन होलिका जल मरी कमाके पुण्य। 7. फगुआ मन जी में […]
हाइकू – माँ
वाणी अमृत सी चिर स्नेह की मूर्ति प्रेम की आधार, जगत पिता बंध जाता तत्क्षण बोलते बात । स्नेह मयी ओ अकथनीय दया कोमल हृदय, मन जल सा गोदी पलंग सी शिशु के लिए। अविरल है निश्छल भावना भी अंश खातिर, मनमोहक है जिसकी प्यारी पात कहता शिशु। खुश हो जाती बोलता तुतलाकर मां, बेटा […]
हाइकु
१. अभिनंदन बदल गया अर्थ अभिनंदन २. वो नियंत्रण यें प्रत्यक्षीकरण पवन पुत्र ३. नहीं हो अब नियंत्रण रेखा पे वो नियंत्रण ४. अंतःकरण पिघल गया आज लौह पुरुष ५. महा संग्राम सरहद पे रण होगा […]
तीन हाइकु
1 बसंत ऋतु खिले प्रणय पुष्प दिल मचला। 2 प्रेम की भाषा आँखें हुई चंचल निंदिया दूर। 3 जीना बेकार प्रेम स्पर्श न मिला प्यासा हृदय। — निर्मल कुमार डे
हाइकु-लता जी
स्वरकोकिला मां सरस्वती पुत्री कंठ भारती। ++ संघर्ष भरा जीवन था जिसका निखरा सोना। ++ हार न मानी हृदयनाथ लाड़ली सुरोंस्व
वसन्त पंचमी (वसन्त पंचमी पर 10 हाइकु)
1. पीली सरसों आया है ऋतुराज ख़ूब वो खिली। 2. ज्ञान की चाह है वसन्त पंचमी अर्चन करो। 3. पावस दिन ये वसन्त पंचमी शारदा आईं। 4. बदली ऋतु, काश! मन में छाती बसन्त ऋतु। 5. अब जो आओ ओ! ऋतुओं के राजा कहीं न जाओ। 6. वाग्देवी ने दीं परा-अपरा विद्या, हुए शिक्षित। 7. चुनरी […]
“हाइकु”
चुनावी जोश खोता जा रहा होश है अफसोस।।-1 नेता जी आए वादे गुनगुनाए क्या मन भाए।।-2 फ्री का राशन इतराए शाशन भरा वासन।।-3 हिंदू हिंदुत्व जानी मानी आकृत छद्मि प्रवृत्ति।।-4 वोट के लाले मतलबी निवाले हैं दिलवाले।।-5 महातम मिश्र “गौतम” गोरखपुरी