तुम यदि हो पत्थर
तुम यदि हो पत्थर तो मै हूँ स्व -आलोकित शीशा तुम हो यथार्थ मै हूँ स्वप्न सरीखा पुष्प नये नये खिलाने
Read Moreतुम यदि हो पत्थर तो मै हूँ स्व -आलोकित शीशा तुम हो यथार्थ मै हूँ स्वप्न सरीखा पुष्प नये नये खिलाने
Read Moreमेघ, दामिनी और चन्द्रमा – तीनों ने जगत्पिता के एक साथ दर्शन किए। अतृप्ति बढ़ती गई। तीनों पूर्ण वेग से
Read More33. वीर पुत्र का दुर्बल पिता 1306 में देवलदेवी को हिरासत में लेने के बाद गुजरात के सुबेदार अल्प खाँ और
Read Moreअब नहीं है मुझे तुमसे कोई शिकायत हो सकता है यह मेरे द्वारा तुम्हें प्रेषित अंतिम हो ख़त लिखता आया
Read Moreबहुत थक गयी हूँ इस युग के शहर,गाँव गलियों में घुमते घुमते … तुम मुझे अपनी जटाओ के जंगल में
Read Moreये फूल खिल उठेंगे एक दिन नव किसलय सा … प्रभात की रश्मियों से होकर गुजरेंगी जब ……. सच बताऊँ,कवि
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