क्षणिका
ईश्वर ने जड़ों में दुख कुछ वैसे ही डाला जैसे बड़ी श्रद्धा से सीधा आंचल कर तुलसी में जल देती हू
Read Moreगुलशन जी कपूर का कार्य श्री गुलशन कपूर हमारे मंडलीय कार्यालय में अग्रिम विभाग (ऋण विभाग) में प्रबंधक थे। एक
Read Moreलय प्रलय से बहुधा परे, वे विलय करते विचरते; हर हदों को वे नाख़ते, हर हृदय डेरा डालते ! हर
Read Moreदिल भर आया आसमान का, आज तो उसे रोने दो खूब तपाया है सूरज ने , सूरज को अब सोने
Read Moreरात के आगोश मे चाँदनी सिमटती गई , चाँद सँग यूँही ठिठोली सी करती रही | आसमाँ को भी गुमाँ
Read Moreअब उल्लू करे शृंगार, बाराती भालू बंदर, हंस खड़े रुक जाय, बाराती भालू बंदर //१ कोट पैंट मैकाले वाली, आज
Read Moreकाँटों भरी राहों पर फूल बिछाते चलूँ | अपने दुर्गम मार्ग को सुलभ बनाते चलूँ | अपने वाणी में मधुरस
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