हवा बसन्ती (बसन्त ऋतु पर हाइकु)
1. हवा बसन्ती लेकर चली आई रंग बहार! 2. पीली ओढ़नी लगती है सोहणी धरा ने ओढ़ी! 3. पीली सरसों
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Read More1. रज़ाई बोली – जाता क्यों न जाड़ा, अब मैं थकी! 2. फिर क्यों आया सबको यूँ कँपाने, मुआ ये
Read Moreबड़े बुद्धिजीवी है है विधा के सागर ये लोग आतंकियों से जूझते सिपाही पर पत्थर बरसा देते हैं ये लोग
Read Moreचुनावी हाइकु 01 – इस चुनाव आदमी तो आदमी गधे भी खुश । 02 – अपने साथ अपनों को गिराया
Read More9 फरवरी 2016 में जेएनयू के बाद एक बार फिर 21 फरवरी 2017 को डीयू में होने वाली घटना ने
Read Moreचतुरसिंह के पिता का देहांत हो चुका था. उसने अपने छोटे भाई कोमलसिंह को बंटवारा करने के लिए बुलाया, “बंटवारे
Read Moreलघुकथा – परम्परा ”यह असंभव है. हमारे यहां ऐसा नही होता है,” उस के ताऊजी ने जम कर विरोध किया.
Read More“पथिक हूँ पथिक” रुक पा रहा हूँ न चल पा रहा हूँ पथिक मैं पथिक हूँ रगड़ खा रहा हूँ
Read Moreअंग्रेज इस देश को सांपो बिच्छुओं और जादूगरों का देश कहते थे, यहाँ के रीती रिवाजो परम्पराओ का मजाक उड़ाया
Read Moreटेम्पो के करीब पहुंचा रामसहाय उस के करीब किसी को न पाकर टेम्पो के पीछे की तरफ एक डंडा फटकारते
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