गीत
अनवरत पथ पे सदियों से चलता रहा। मुझको मंजिल कोई भी ना हासिल हुई। लडखडा कर रुके जब भी मेरे
Read Moreतल तक कविवर जाया करना ढूंढ के मोती लाया करना नज्में लिखना गाया करना जग को सच समझाया करना इतिहास
Read Moreउम्र के आठवें दशक में खड़ी रामकली, आँखें फाड़े अपने प्रौढ़ पुत्र को देख रही थी। वह सोच रही थी,
Read Moreजाने कहाँ छिप जाती है उदासी, ख़ामोशी, और तन्हाई जब माँ साथ होती है !!! … सारी मुस्कराहटों को पता
Read Moreयह अजीब है कि कांग्रेस को प्रत्येक चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की याद सताने लगती है। शायद
Read Moreगुण्डों से बचते-बचाते, इधर से उधर भागते, सुमन अधमरी सी हो गई थी । हिम्मत जबाब देने लगी थी। उसे
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