सामाजिक न्याय की तरफ एक ठोस कदम
भारत की राजनीति का वो दुर्लभ दिन जब विपक्ष अपनी विपक्ष की भूमिका चाहते हुए भी नहीं नहीं निभा पाया
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Read Moreप्रखरतम धूप बन राहों में, जब सूरज सताता है। कहीं से दे मुझे आवाज़, तब पीपल बुलाता है। ये न्यायाधीश
Read Moreक्रंदन करते रिश्ते तलाश रहे नई राह टूटी माला के मोतियों से बिखर रहे हैं दूर हो रहे अपने धागे
Read Moreमुझे संभालो कि मुझे गुमाँ हो गया मैं किसी चाँद का आसमाँ हो गया कितना सच्चा है प्यार मेरा देखिए
Read Moreये कमाल क्या है? कमाल क्यों होता है? कमाल कब होता है? कुछ पता नहीं, पर हो जाता है. चलिए
Read Moreनिकलती हूँ मैं जब शिवजी की जटा से स्वच्छ,निर्मल और स्फटिक जल लेकर, हो जाता स्वस्थ,दुर्बल,अस्वस्थ मनुष्य मेरे अति गुण
Read Moreबहुत प्रतीक्षा के बाद अभी-अभी पारिजात का छोटा-सा मैसेज आया था- ”मां मैं दो दिनों में पहुंच रहा हूं, आप
Read Moreसाल दर साल यूँ ही बदलते चले गए, उम्र बढ़ती गई , सपने मरते चले गए। क्या कुछ बदला पिछले
Read Moreसर्द हवाओं में सुबह के अंतिम अंधकार में, मुँह और सर को ढककर वो अपने बच्चो की पढ़ाई कमाने के
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