कहानी -गुरु का कर्तव्य बोध
प्रात:कालीन होने वाली सभा में इषिता को शुद्ध उच्चारण एवं धाराप्रवाह रूप में बोलते हुए देखकर हिन्दी अध्यापिका नेहा बेदी
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Read Moreआज रामदीन बहुत खुश था और खुश हो भी क्यूँ न?उसके खेतों में लहलहाती गेहूं और चने की फसल उसके वर्ष
Read Moreबहुत वर्षों की बात है हम रोज़ाना विटमोरीन्ज़ लाइब्रेरी में अखबार मैगज़ीन बगैरा पड़ने आते थे। दो घंटे हम पड़ते
Read Moreरीना बहुत ही सुन्दर ,सुशील और एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाली साधारण सी लड़की थी |यूं तो संयुक्त
Read More“देख उतना भी डिफिकल्ट नहीं है जितना तू सोच और बना रही है… बस थोङा सा समय निकालना पङेगा यार,
Read Moreअँधेरा गहरा होता जा रहा था। वह अब भी डरती -कांपती सी झाड़ियों के पीछे छुपी बैठी थी। तूफान तो आना
Read Moreहॉस्पिटल के कैंसर वार्ड के विस्तर पर लेटे लेटे सुबीर थक चूका था l एक सप्ताह से वह हॉस्पिटल
Read Moreनंदू किसी तरह गाँव की पाठशाला में आठवीं पास करने के बाद शहर आ गया था , शहर में उसने
Read Moreशहर के बड़े अस्पताल के सर्जन की पत्नी को पहला बेटा होने को था। पर बेटा ही क्यों? बेटी क्यों नहीं?
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