कहानी – आज़ाद देश के गुलाम
पिता की चहेती दीना कुछ बरस पहले पराई हो चुकी थी। बेचारे ललकु ने अपनी हैसियत से कुछ ज्यादा ही
Read Moreपिता की चहेती दीना कुछ बरस पहले पराई हो चुकी थी। बेचारे ललकु ने अपनी हैसियत से कुछ ज्यादा ही
Read Moreरात के बारह बज रहे थे और वह नन्ही परी से जी खोलकर बतिया रही थी। सुन आज तू पूरे
Read Moreवह हवेली इतनी बड़ी थी कि पूरा दिन घूमते रहो तब कहीं जाकर पूरी देख सकते हो, हवेली क्या थी
Read Moreयूँ तो होते हैं मुहब्बत में जुनूँ के आसार और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं पहाड़, पठार, झील,
Read More“नन्दू दीईई…..” बाजार में नन्दिनी को अचानक देखा तो खुद को रोक नही पायी ऋचा। “नन्दू दी रुकिए ज़रा,” अपनी तरफ
Read Moreदस दिन हो गए थे केशव को घर आए। आया तो वो पिता की मृत्यु पर था, पर वापिस जाने
Read More‘अब आपकी फाईल नहीं मिल रही तो मैं क्या करूँ ? इतना पुराना रिकाॅर्ड है । बेसमेंट में स्टोर रूम
Read Moreशीला आज उम्र के पचासवें पढ़ाव पर आकर अपनी दादी माँ को बहुत याद करती है। जिसका मुख्य कारण यह
Read Moreमहीने के अंतिम रविवार को अक्सर मैं मोरान के शिवालिक वृद्धाश्रम में जाती हूँ और वहां रह रहे माता-पिता के
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